मेरी कविताओं तथा लेखों का सचित्र एवं चित्र रहित संग्रह।
शनिवार, 13 नवंबर 2010
शिवजी की चाह
प्रिय मित्रों, इस रचना से मेरा तात्पर्य किसी की भी धार्मिक आस्था को ठेस पहुँचाने का नहीं है। कृपया इसे मात्र एक व्यंग्य समझ कर आनंद लें। फिर भी यदि इससे किसी बंधु की धार्मिक आस्था आहत होती है तो उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूँ।
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