कल १२ मई को दूर दर्शन पर साँय ७.१५ बजे आदरणीय डॉ० अशोक चक्रधर द्वारा संचालित कार्यक्रम "चले आओ चक्रधर चमन में" सपरिवार देखा । उन्होंने इस बार ‘परिवार’ विषय पर चर्चा की। प्रसिद्ध कवि एवं गीतकार डॉ० कुँवर बेचैन ने परिवार पर लिखे अपने गीतों को सुरों में ढालकर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए। यह कार्यक्रम आज की पीढ़ी को परिवार की महत्ता बताने में पूरी तरह से सक्षम रहा जिसका श्रेय आदरणीय डॉ० अशोक चक्रधर एवं दूरदर्शन को जाता है। उनके इस सफल प्रयास में वे निश्चय ही बधाई के पात्र हैं।
इस कार्यक्रम में चक्रधर जी ने ‘परिवार’ विषय पर टिप्प्णी स्वरुप भेजी गई कुछ रचनाएं अपनी आवाज में पढकर सुनाईं। मेरे द्वारा रचित कुछ पंक्तिया भी पढ कर सुनाई गईं, जो इस प्रकार हैं :
स्वर्ग का जैसे हो द्वार बन जाता है,
जीवन में खुशियों का त्यौहार बन जाता है,
बैर, घृणा, द्वेष दिल से निकाल दो अगर
एक खुशनुमा परिवार बन जाता है।
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-----------------------------------------------------सुशील जोशी
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