शनिवार, 26 नवंबर 2011

परिहास

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4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी रचना लेकिन आपने जो अंत मेन संदेश दिया मुझे वो बहुत अच्छा लगा आभार ... की आपने परिहास के साथ महान ग्रन्थों का भी मान रखा... समय मिले कभी तो आयेगा मृ पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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  2. सुनील जी, पल्लवी जी एवं मानव भाई.... आप तीनों का मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए हार्दिक आभार...

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