रविवार, 15 मई 2011

घृणा


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7 टिप्‍पणियां:

  1. भाई सुशील जी मैंने आपका ब्लाग पहली बार देखा और देखता राह गया आप तो सृजन में हमारी बिरादरी के दीखते है और रही रचना की बात यही है हमारे सभ्य समाज की तश्वीर अच्छे लेखन की बधाई

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  2. आप सभी मित्रों का मुझे अपना आशीर्वाद एवं स्नेह देने के लिए हार्दिक धन्यवाद....

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