मेरी कविताओं तथा लेखों का सचित्र एवं चित्र रहित संग्रह।
मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012
भले कोई उमर हो सब
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अभी भी सच में, उनका मुस्कुराना याद है हमको, जहाँ छुप छुप के मिलते थे, ठिकाना याद है हमको, जीवन के वक्त-ऐ-दरिया में, सच में, एक एक करके, यादों को सलीके से, बहाना, याद है हमको, तुमने बात छेड़ी है, तो हम भी क्यों रहें पीछे, मोहब्बत तो मोहब्बत है, निभाना याद है हमको.
जवाब देंहटाएंअभी भी सच में, उनका मुस्कुराना याद है हमको,
जहाँ छुप छुप के मिलते थे, ठिकाना याद है हमको,
जीवन के वक्त-ऐ-दरिया में, सच में, एक एक करके,
यादों को सलीके से, बहाना, याद है हमको,
तुमने बात छेड़ी है, तो हम भी क्यों रहें पीछे,
मोहब्बत तो मोहब्बत है, निभाना याद है हमको.
SHAM SUNDER KUMAR
kumarshamsunder@gmail.com
बहुत खूब शाम जी.... धन्यवाद
जवाब देंहटाएंNice EXCELLENT BOTH PERFORMANCE...
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