बहुत खूब सुशील जी ....एक बेहतरीन पोस्ट ....आपने इसे नज़्म का नाम दिया ....पर जहाँ तक मैं जनता हूँ ...ये एक ग़ज़ल के रूप में लिखी है ...न की नज़्म की तरह ...
इमरान जी आपका बहुत-2 धन्यवाद। दरअसल मुझे गज़ल के विषय में अधिक ज्ञान नहीं है। लेकिन इतना जानता हूँ कि गज़ल अनुशासन माँगती है। जो मुझे नहीं पता क्योंकि उर्दू का ज्ञान न होने के कारण इस विषय में जानकारी नहीं है। नज़्म में कोई अनुशासन नहीं होता। इसलिए मैंने इसे नज़्म ही लिखा है। आपके ब्लॉग में न केवल आऊँगा बल्कि उसे ज्वाइन भी करूँगा। शायद आपकी छत्रछाया में गज़ल के रूप को सही प्रकार से समझ पाऊँ।
great sushil bhai
जवाब देंहटाएंMany Thanx to you Chandan ji
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सुशील जी ....एक बेहतरीन पोस्ट ....आपने इसे नज़्म का नाम दिया ....पर जहाँ तक मैं जनता हूँ ...ये एक ग़ज़ल के रूप में लिखी है ...न की नज़्म की तरह ...
जवाब देंहटाएंकभी फुर्सत में मेरे ब्लॉग पर भी आयें:-
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इमरान जी आपका बहुत-2 धन्यवाद। दरअसल मुझे गज़ल के विषय में अधिक ज्ञान नहीं है। लेकिन इतना जानता हूँ कि गज़ल अनुशासन माँगती है। जो मुझे नहीं पता क्योंकि उर्दू का ज्ञान न होने के कारण इस विषय में जानकारी नहीं है। नज़्म में कोई अनुशासन नहीं होता। इसलिए मैंने इसे नज़्म ही लिखा है। आपके ब्लॉग में न केवल आऊँगा बल्कि उसे ज्वाइन भी करूँगा। शायद आपकी छत्रछाया में गज़ल के रूप को सही प्रकार से समझ पाऊँ।
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